हाल ही में एक यूट्यूबर का नाम सुना है — पारस सिंह।
इनका एक गेमिंग चैनल है, जिसपर 4.62 लाख सब्सक्राईबर हैं। ये खुद को सोशलमीडिया इंफ्लूएंसर मानते हैं। यहाँ तक तो सब ठीक है फिर गलत क्या है?
कुछ दिन पहले PUBG के वापस आने की खबरें आईं थीं, तब अरूणांंचल प्रदेश के एक विधायक ने भारतसरकार से PUBG पर लगा बैन ना हटाने की विनती की थी।
बदले में सोशलमीडिया इंफ्लूएंसर पारस सिंह ने उन विधायक के चायनीज और अरूणांंचल प्रदेश को चीन का हिस्सा बताया। (जो लोग भारत-चीनी विवाद के बारे में जानते हैं वो समझ सकते हैं कि ये कितना बड़ा स्टेटमेंट है।) चीनी अख़बारों में अरूणांचल प्रदेश का अस्तित्व नकारा जाता है, इसके लिये एक अलग नाम लिखा जाता है, तो एक भारतीय द्वारा ऐसा बोलना उनकी मंशाओं को स्वीकृति देने जैसा है।
जाहिर है पारस पर FIR दर्ज होनी थी, जो हुई भी। अब पारस वीडियो डालकर कह रहा है गलती हो गई, माफ कर दो। अब क्या मैं फाँसी लगा लू? फिर उसकी मम्मी की भी वीडियो आई मेरा बेटा नासमझ है, छोटा है उसे समझ नहीं आया वो क्या कह रहा था। माफ कर दो।
सच में?
- अगर पारस इतना ही नासमझ है तो किसने कहा था सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर बनने को?
- पारस की उम्र कितनी है मुझे नहीं पता पर सेना में भर्ती कई 18–18 साल के बच्चे उसी अरूणांचल प्रदेश की रक्षा में शहीद हुये हैं जिसे ये चीन का हिस्सा बोल रहे हैं। (न्यूनतम 18 वर्ष अभी कुछ समय पहले लगाई गई है, उससे पहले 16 साल में भर्ती हुये सैनिक भी उसी सीमा की सुरक्षा में सर्वोच्च बलिदान दे गये हैं।)
- वीडियोगेम खेलने में अच्छे हो तो वही करना था ना किसने कहा था बिना जानकारी के इतनी बकवास करने की?
- और इनके वो सब्सक्राईबर जिन्होने उस वीडियो को लाईक किया !! उनपर तो कुछ कहना ही बेकार है। 😠😠
एक और टिकटॉकर, यूट्यूबर, सोशलमीडिया इंफ्लूएंसर — फैजू (पूरा नाम क्या है पता नहीं) इनके 10 लाख से ज्यादा सब्सक्राईबर हैं।
मोबलिंचिंग में तबरेज अंसारी की हत्या हो गई थी तब इनका कहना था - "मार तो दिया तुमने उस बेकसूर अंसारी को, कल जब उनकी औलाद बदला लें तब ये मत कहना मुसलमान आतंकवादी होते हैं।"
एक गलत काम को सही करने के लिये आप लोगों को उकसाकर मार-काट करवाना चाहते हैं? मि. फैजू और उनके समर्थकों, वजह कुछ भी हो आतंकवाद को कभी भी जस्टीफाई नहीं किया जा सकता।
एक और हैं - फैजल सिद्दिकी। इनकी एक वीडियो आई थी जिसमें लड़की ने इन्हें छोड़ दिया तो ये उस पर एसिड फेंककर उसका चेहरा बिगाड़ देते हैं।
ठीक है असली में नहीं फेंका सिर्फ वीडियो था लेकिन लोगों तक इसका क्या मैसेज पहुँचा था? यही ना कि लड़की मना करे तो कूलडूड बनकर उसपर एसिड फेंक आओ।
एक और कोई थीं जो वीडियो में - पहले पैर से छोटे से कुत्ते को दबा रहीं थीं, फिर बाद में उसके ऊपर गाड़ी चढ़ा दी। वो बेचारा डॉगी बहुत चीखता-चिल्लाता रहा पर इन्हें उस पर दया नहीं आई।
समझ नहीं आया था कि जानवर वो प्यारा सा कुत्ता था या ये निर्दयी औरत।
हजारों ऐसे वीडियो पड़े हैंं, पब्लिसिटी के भूखे हजारों ऐसे लोग हैं जिनके लिये सही-गलत जैसा कुछ है ही नहीं।
और इन सबके वीडियो के बाद इन लोगों के रातोंरात बहुत ज्यादा फोलोअर बढ़ गये। इनके फैन्स "ऐसा नहीं ऐसा कहा था" वाले excuses देकर इनका बचाव भी करते हैं। पता नहीं इन फैन्स की बुद्धि कहाँ छुट्टियाँ मनाने चली गई।
अभिव्यक्ति की आजादी है तो कोई भी मुँह उठाकर कुछ भी बोल देता है, बिना सोचे -समझे और लोग इन्हें सपोर्ट भी करते हैं। फिर चाहे वो देश के खिलाफ हो, महिला-बच्चियों के खिलाफ हो, मानवता के खिलाफ हो, इन So called social media influencers को बस बोलना होता है।
सोशल मीडिया पर बस यही गलत हो रहा है।
