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‘जिन्होंने लाल किले पर फैलाई हिंसा, वे सरदार नहीं गद्दार’, सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों से बोले किसान नेता



किसानों की ट्रैक्टर रैली में फैली हिंसा में दिल्ली पुलिस प्रदर्शनकारियों के सामने असहाय नजर आई। इस बीच अब केंद्र सरकार ने राजधानी में पैरामिलिट्री फोर्सेज की 15-20 कंपनियां (करीब 1500-2000 जवान) तैनात करने का फैसला किया है। इस बीच हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने अब तक 22 एफआईआर दर्ज की हैं। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अन्य उपद्रवियों को पकड़ने की तैयारियां चल रही हैं। इस बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि लाल किले में जिसने भी हिंसा फैलाई, उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी। वे लोग आंदोलन का हिस्सा नहीं रह सकते।

बता दें कि दिल्ली में अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात करने का फैसला गृह मंत्री अमित शाह के घर पर रखी गई बैठक में लिया गया। शाह ने इसी के साथ दिल्ली पुलिस को उपद्रवियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं। बता दें कि दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मद्देनजर पहले ही सुरक्षाबलों के 4500 जवान तैनात थे। अब इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी।

लाल किले पर हुए हंगामे का असर मंगलवार को पूरे दिन देखने को मिला। दरअसल लगभग 225 कलाकार कई घंटे लाल किले के पास फंसे रहे। बाद में पुलिस ने कलाकारों को निकाला। वहीं, दिल्ली पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारी किसानों के साथ झड़प में 83 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार शाम को ही किसानों की परेड को वापस ले लिया था। सभी किसानों से कहा है कि वे तुरंत प्रदर्शन स्थल पर लौटें। मोर्चे ने कहा कि किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण जारी रहेगा और आगे की रणनीति तय की जाएगी। इससे पहले बड़ी तादाद में किसान दिल्ली में प्रवेश कर गए थे। अक्षर धाम और गाजीपुर बॉर्डर पर किसान बैरिकेड तोड़कर अंदर दाखिल हुए। जिसके बाद किसान लालकिले तक पहुंच गए ।

गौरतलब है कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और उनकी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर हजारों किसान, जिनमें ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं, 28 नवंबर से दिल्ली के कई सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।