जुगराज के गाँव और परिवार में पहले तो जीत की ख़ुशी और लाल क़िले पर खालसा झंडे को लहराने का एक उत्साह दिख रहा था, लेकिन बाद में वो पुलिस कार्रवाई के डर में बदल गया.
अब जुगराज का अता-पता नहीं है और जुगराज के माता-पिता भी गाँव छोड़ कर कहीं चले गए हैं, पुलिस और मीडिया के सवालों का जवाब देने के लिए रह गए हैं जुगराज के दादा-दादी.
पंजाब के तरनतारन ज़िले के गाँव का 23 साल का नौजवान जुगराज सिंह वही नौजवान है, जिसने 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल क़िले की प्राचीर पर खालसा झंडा लगा दिया था.
जब जुगराज के दादा से पूछा गया कि वो अपने पोते की हरकत के बारे में क्या सोचते हैं, तो उन्होंने कहा, "बहुत अच्छा लग रहा है ये बाबे दी मेहर है" यानी गुरुओं की मेहरबानी है.
जुगराज के दादा महल सिंह ने कहा कि जुगराज बहुत ही अच्छा लड़का है और उन्हें नहीं मालूम की जो घटना हुई वो किस तरह हुई, उन्होंने कहा कि जुगराज ने उन्हें कभी भी शिकायत का मौक़ा नहीं दिया.
