दिल्ली पुलिस ने अदालत को दिए जाँच रिपोर्ट में कहा है की दिल्ली में हुए दंगो के लिए फंडिंग सऊदी अरब और देश के कई हिस्सों से की गयी थी, पुलिस ने बुधवार को यह भी कहा कि ये दंगे अचानक नहीं भड़के थे। बल्कि दिल्ली में जान माल की अधिक से अधिक हानि के लिए खूब तैयारी की गई थी।
इससे पहले ही दिल्ली पुलिस ने एक स्थानीय अदालत को बताया था कि गवाहों से पूछताछ से यह पता चला कि दिल्ली दंगों की साजिश में आरोपित शिफा उर रहमान को मध्य पूर्व के देशों में स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया के पूर्व छात्र संघ के सदस्यों से फंड मिला था। इसके बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने गिरफ्तार किए गए जामिया के पूर्व प्रेजिडेंट शिफा उर रहमान को 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था।
पुलिस ने कहा कि रहमान का नाम इशरत जहाँ, खालिद सैफी, मीरान हैदर, सफूरा जरगर, गुल्फ़ीशा खातून, ताहिर हुसैन और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के तीन सदस्यों से पूछताछ के दौरान सामने आया था।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अदालत से दिल्ली हिंसा की तह तक पहुँचने के लिए और आरोप पत्र दाखिल करने के लिए समय माँगा है। पुलिस ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण जारी देशव्यापी लॉकडाउन के कारण जाँच में देरी हुई है।
मीर हैदर (35) कथित तौर पर पीएचडी छात्र है और दिल्ली में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की युवा इकाई का अध्यक्ष भी है। वहीं, सफूरा जरगर जामिया मिल्लिया इस्लामिया से एमफिल कर रही हैं। हाल ही में उनकी प्रेगनेंसी को लेकर उन्हें जमानत मिलने की चर्चा जोरों पर रही।
दिल्ली पुलिस द्वारा अदालत में सौंपी गई शुरूआती जाँच रिपोर्ट के अनुसार गुल्फ़ीशा खातून ने सोशल मीडिया साइट जैसे – फेसबुक, ट्विटर, मेसेंजर ऐप व्हाट्सएप पर देश के खिलाफ मुस्लिम समुदाय को जुटाने की तैयारियाँ की थीं।
दिल्ली में नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर बड़े स्तर पर हिन्दू-विरोधी दंगों को अंजाम दिया गया था। यह सिलसिला शाहीन बाग़ से शुरू हुआ था जो गत दिसम्बर माह से ही अपनी गतिविधियों के कारण चर्चा का विषय बना रहा।
