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चीनी मीडिया में मातम छाया, तो अमेरिका और UK की लिबरल मीडिया ने किया चीनी सेना का गुणगान

गलवान घाटी में हाल ही में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में दोनों पक्षों को नुकसान हुआ। जहां भारत के 20 सैनिक हुतात्मा हुए,  तो वहीं चीन के 45 से भी अधिक सैनिकों का संहार हुआ। कई लोगों का मानना है कि ये कार्गिल युद्ध के बाद अभी तक की सबसे हिंसक झड़प रही है।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि वुहान वायरस और दक्षिण पूर्वी एशिया में अपनी गुंडई के कारण विश्व भर से आलोचना का सामना कर रही चीन ने ध्यान भटकाने के लिए भारत से ऐसी हिंसक लड़ाई मोल ली है। परंतु ऐसा लगता है कि चीन की छवि को बचाने का जिम्मा ग्लोबल मीडिया ने लिया है।

वैश्विक मीडिया, विशेषकर लिबरल मीडिया ने यह भ्रम फैलाना शुरू कर दिया है कि भारतीय सैनिकों को ही इस झड़प में नुकसान पहुंचा है, जबकि चीनी सैनिकों के बारे में कोई उल्लेख नहीं है।

उदाहरण के लिए न्यू यॉर्क टाइम्स की ही कवरेज देखिये। शीर्षक में इन्होने लिखा है, “दशकों में सबसे भयानक झड़प हुई भारत चीन बॉर्डर पर, 20 भारतीय सैनिक मारे गए”।

पर न्यू  यॉर्क टाइम्स इतने पर ही नहीं रुका। मानो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की भाषा बोलते हुए न्यू यॉर्क टाइम्स  ने इसका दोष भारत के राष्ट्रवादी नेताओं पर मढ़ा, और पूरे लेख में उसने भारत को ही आक्रामक सिद्ध करने का प्रयास किया।

पश्चिम की वामपंथी मीडिया को भारत विरोधी लेख, विशेषकर पीएम मोदी विरोधी लेख लिखने में कुछ अलग ही आनंद आता है, ये जानते हुए भी कि उनकी सरकारें भारत के साथ काफी घनिष्ठ संबंध रखते हैं, चाहे वो अमेरिका के हो, या फिर यूके के।

जब भारत को नीचा दिखाने की हो, तो भला बीबीसी कैसे पीछे रहता? इसी ब्रिटिश मीडिया आउटलेट ने ट्वीट किया, “लगभग 20 भारतीय सैनिकों को कश्मीर में चीनी सेना के साथ भिड़न्त में मार गिराया गया”।BBC Breaking News✔@BBCBreaking

At least 20 Indians died in clash with Chinese forces in Kashmir, India says, in first deadly skirmish for decades https://bbc.in/3e8kUYt Twenty Indian troops killed in China clashAt least 20 Indians died in clashes with Chinese forces in Kashmir, India says, far more than first reported.bbc.co.uk4,929Twitter Ads की जानकारी और गोपनीयता3,994 लोग इस बारे में बात कर रहे हैं

बीबीसी अभी भी ये मानने को तैयार नहीं है कि यह घटना कश्मीर में नहीं, बल्कि लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश में हुई है। तभी उसने जानबूझकर कश्मीर का उल्लेख किया है।

बीबीसी के अलावा एक अन्य ब्रिटिश मीडिया पोर्टल Financial Times (फाइनेंशियल टाइम्स) ने रिपोर्ट किया है, “20 भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों के साथ झड़प में मारे गए।”

इसी बीच वॉशिंग्टन पोस्ट ने भी सोचा, चलो हम भी बहती गंगा में हाथ धो लें। उन्होंने भी चीनी सेना को शक्तिशाली दिखाने के प्रयास में रिपोर्ट किया, “45 सालों में पहली बार हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक चीनी सेना के हाथों मारे गए”। 

अल जज़ीरा ने भी अपने रिपोर्ट में शीर्षक के रूप में लिखा“भारत कहता है कि उसके 20 सैनिक चीन के साथ झड़प में मारे गए!”

इसमें कोई दो राय नहीं है कि ये सभी रिपोर्ट्स एक ही उद्देश्य से लिखे गए हैं – चीन के प्रोपेगेंडा को बढ़ावा देकर भारत को कमजोर दिखाना। इससे यह मीडिया आउटलेट अपने सरकारों को यह संदेश देना चाहते हैं कि चीन के विरुद्ध उन्हें कड़ा रुख नहीं अपनाना चाहिए। हो भी क्यों न, आखिर चीन ने इन्हें अच्छी ख़ासी रकम जो दी है इनका एजेंडा चलाने के लिए। लेकिन इस कवरेज से वैश्विक मीडिया ने अपने ही हाथों से अपनी विश्वसनीयता को गाजे बाजे सहित मिट्टी में मिलाया है।