
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध की आड़ में देश की राजधानी दिल्ली को दहलाने की साजिश रची गई थी। उस दौरान उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या कर दी गई थी। साथ ही IPS अमित शर्मा और अनुज कुमार पर जानलेवा हमला किया गया था।
दिल्ली पुलिस की विशेष जाँच टीम ने हाल ही में रतन लाल की हत्या, IPS अमित शर्मा और IPS अनुज कुमार पर दंगाइयों द्वारा किए गए घातक हमलों में 1,100 पन्नों की चार्जशीट दायर की है। चार्जशीट में कम से कम 17 आरोपितों को नामजद किया गया है। इस पूरे मामले में लगभग 4 से 5 मुख्य साजिशकर्ता हैं, जिनमें सलीम खान, सलीम मुन्ना और शादाब शामिल हैं। पुलिस ने कहा कि देश की छवि खराब करने के लिए एक साजिश के तहत दंगे को अंजाम दिया गया।
चार्जशीट से कई अन्य बेहद परेशान करने वाले विवरण सामने आए, जिनमें से एक हिस्सा ऑपइंडिया द्वारा एक्सेस किया गया है। बता दें कि चार्जशीट में एक नाम का बार-बार जिक्र किया गया है। वो नाम है- डीएस बिंद्रा का। वही डीएस बिंद्र जिनके बारे में फरवरी में सोशल मीडिया पर खबरें वायरल हुई कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों को लंगर खिलाने के लिए अपना फ्लैट तक बेच दिया। लोगों ने बिंद्रा की ‘उदारता’ के लिए काफी तारीफें की। मीडिया गिरोह ने इसे ‘मुसलमान-सिख एकता’ की चासनी में डूबो कर बेचा।
इंडिया टुडे ने इसे मानवता की सेवा करार देते हुए खबरें चलाई।
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| India Today की हेडलाइन |
शाहीन बाग के ट्विटर हैंडल ने भी डीएस बिंद्रा का महिमामंडन करते हुए इसे ‘मुसलमान-सिख एकता’ की मिसाल बताया।
Muslims, Dalit and Sikh have come together under the banner of MIM BHIM Khalsa.— Shaheen Bagh Official (@Shaheenbaghoff1) January 17, 2020
Shri D.S Bindra along with the sikh community organise a langar at Shaheen bagh every night.Listen to what he has to say#ShaheenBaghProtest #ShaheenBagh #unityindiversity#सलाम_महिला_शक्ति_शाहीनबाग pic.twitter.com/XaHBSr9CDz
1. डीएस बिंद्रा AIMIM नेता थे।
2. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बिंद्रा दिल्ली के मुस्तफाबाद और खूँरेजी में सीएए विरोध प्रदर्शनों में भी मुख्य रूप से शामिल रहे।
बिंद्रा एआईएमआईएम के नेता थे और वो मुस्तफाबाद में सीएए विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे। मीडिया को अलर्ट करना चाहिए था। हालाँकि, मीडिया ने अपना हीरो ढूँढ लिया था, जिसके माध्यम से इस्लामवादियों के कारनामों पर लीपापोती की जा सकती थी।
अब, डीएस बिंद्रा को दिल्ली क्राइम ब्रांच द्वारा दायर चार्जशीट में उन प्रमुख लोगों में नामित किया गया है जिन्होंने दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगों के दौरान कांस्टेबल रतन लाल की हत्या करने वाली भीड़ को उकसाया था।
आरोप पत्र में कहा गया है कि बीट अधिकारियों को नियमित रूप से विरोध के क्षेत्र में तैनात किया गया था, ताकि कानून व्यवस्था सुनिश्चित किया जा सके। रतन लाल की हत्या के बाद, दो बीट अधिकारियों से भी पूछताछ की गई और उनके बयानों से तथ्यों का पता लगाया गया। उन्होंने खुलासा किया कि सलीम खान, सलीम मुन्ना, डीएस बिंद्रा, सुलेमान सिद्दीकी, अयूब, अतहर, शाहदाब, उपासना, रविशंद अन्य लोग विरोध स्थल के आयोजक थे।
प्रोटेस्ट साइट पर, मुसलमानों को उकसाने वाले भड़काऊ बयान हर दिन दिए गए थे। चार्जशीट में विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि बीट अधिकारियों के अनुसार, इस साइट पर दंगा स्थानीय दंगाइयों के साथ डीएस बिंद्रा, सलमान सिद्दीकी, सलीम खान, सलीम मुन्ना और अतहर आदि का काम था।
चार्जशीट में स्पष्ट रूप से जिक्र किया गया है, “आरोपित व्यक्तियों ने संयुक्त रूप से खुलासा किया कि चाँदबाग दंगो के पीछे की साजिश में उनके साथ डीएस बिंद्रा, डॉ रिज़वान, अतहर, शाहदाब, उपासना, तबस्सुम, रवीश और अन्य लोग शामिल थे।”
इसके अलावा, गिरफ्तार अभियुक्त शाहनवाज़ और इब्राहिम ने यह खुलासा किया कि इस दंगे के आयोजक डीएस बिंद्रा, डॉ रिज़वान, सुलेमान (सलमान), सलीम खान और सलीम मुन्ना थे। यह दंगा इन्हीं लोगों द्वारा अन्य लोगों के साथ मिलकर रची गई साजिश का हिस्सा था।
एक अन्य आरोपित मोहम्मद सलीम खान (चाँद बाग के प्रोटेस्ट का आयोजक) ने खुलासा किया था कि लगभग दो महीने पहले, डीएस बिंद्रा ने सर्विस रोड, वज़ीराबाद रोड, चाँदबाग में सामुदायिक रसोई की शुरुआत की थी। सामुदायिक रसोई की वजह से बड़ी संख्या में वहाँ पर भीड़ इकट्ठा होती थी।
सलीम खान, सलमान सिद्दीकी, डॉ रिज़वान, सलीम मुन्ना और अन्य लोगों के साथ सामुदायिक रसोई में जाता था। डीएस बिंद्रा ने CAA/ NRC का जोरदार विरोध करने के लिए उसे और अन्य मुसलमानों को उकसाया। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोगों को अपना असंतोष दिखाने के लिए सड़क पर आना चाहिए।
इसके अलावा, आरोप पत्र में कहा गया है, “ये वे लोग हैं जिन्होंने विरोध स्थल की नींव रखी है। शुरुआत में वे स्थानीय लोगों से मिले। उनके साथ बैठकें कीं, उन्हें विश्वास दिलाया कि वे एक कठिन परिस्थिति से गुजर रहे हैं और फिर लोगों में विरोध की चिंगारी जलाई। इनमें राजनेता, AISA, JCC आदि संगठनों के सदस्य शामिल थे। डीएस बिंद्रा साजिशकर्ताओं में से एक हैं।
यह पता चला है कि उन्होंने पहली बार चांद बाग में एक सामुदायिक रसोईघर “लंगर” बनाया था। जिसमें कुछ स्थानीय निवासी शामिल हो गए, जिन्हें हम स्थानीय आयोजक कह सकते हैं। फिर प्रोटेस्ट साइट की स्थापना से लेकर 24 फरवरी 2020 को हिंसा भड़कने तक वो स्थानीय आयोजकों के साथ लगातार संपर्क में थे।” आरोप पत्र में रतन लाल की हत्या के अलावा दंगें में 49 अन्य पुलिसकर्मी गंभीर रुप से घायल हो गए।
पुलिस ने चार्जशीट में खुलासा किया है कि रतन लाल की हत्या से 2 दिन पहले 22 फ़रवरी को ही 50 लोगों के एक समूह ने बैठक की थी, जहाँ हिंसा की पूरी साज़िश रची गई। दंगाइयों ने अपने घर के बच्चों व बुजुर्गों को पहले ही घर के भीतर रहने को बोल दिया था और ख़ुद हथियार लेकर निकले।
पुलिस ने चार्जशीट में ये भी कहा है कि रतनलाल की हत्या एक गहरी साजिश का हिस्सा थी। 24 फरवरी को मौजपुर क्रॉसिंग के पास हिन्दुओं और मुस्लिमों के बीच झड़प से दोपहर 12 बजे के क़रीब हिंसा भड़क उठी थी। 5000 लोग वहाँ जुट गए थे और पत्थरबाजी भी हो रही थी। 1 बजे एक बड़ी भीड़ ने चाँदबाग में डीसीपी और अन्य पुलिस अधिकारियों पर हमला बोल दिया, जिसमें महिलाएँ और बच्चे भी शामिल थे।
दिल्ली पुलिस की मानें तो चाँदबाग में जिस तरह से सीएए विरोधी प्रदर्शन में लोगों को भड़काया गया और धरने पर बिठाया गया, उसका दंगे फैलाने में अहम रोल था। रतन लाल की हत्या भी इसी साज़िश का हिस्सा थी। full-width
source https://www.dailynv.com/2020/06/blog-post_80.html
