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कुदरत के रंग कितने अनोखे है !


  • कुदरत की बात जहां प्रारंभ होती है, मेरा मन गदगद हो जाता है ।।
  • प्रकृति सृष्टि है
  • प्रकृति सुंदर है
  • प्रकृति सौम्या है
  • प्रकृति जीवों के लिए
  • उपहार स्वरूप है
  • ईश्वर प्रकृति की ही शक्ति हैं
  • इस शक्ति को नाम दिया हमने
  • सर्वशक्तिमान -ईश्वर
  • कुदरत से सृष्टि सारे जीवों की
  • प्रकृति हैं,फूल-पौधे-वन-जंगल
  • प्रकृति हैं,झरने-नदियां-पहाड़-समुंदर
  • प्रकृति ,आकाश-पाताल है
  • बहुत खूबसूरत,जीने का सहभागी है।  


प्रकृति क्या है 

जो बुद्धि तत्व का कारण है और जिसे समझने में मनुष्य असमर्थ हो रहा है |

वह प्रकृति चेतन आत्मा के द्वारा जानने में आता है , वेदांत में उसका नाम माया है | साधारण अर्थ में वह अज्ञान है |
ज्ञान और अज्ञान यानि विद्या और अविद्या दोनों ही प्रकृति के के रूप हैं |
बुद्धि तत्व पहले उत्पन्न हुआ , उसके बाद अहंकार , उसके बाद तन्मात्राएं उत्पन्न हुई | दूसरे शब्दों में शब्द , स्पर्श , रूप , रस , गन्ध के सूक्ष्म तत्व पैदा हुए , इसके बाद मन हुआ | पांचों सूक्ष्म तत्वों से ज्ञानेइन्द्रयाँ हुई | शब्द से कान, स्पर्श से त्वचा , रूप तन्मात्रा से नेत्र, उसके बाद रस से रसना , गन्ध से घ्राण - इन्द्रियां उत्पन्न हुई | इस प्रकार पांच कर्मइन्द्रियां हुई |

वाक् - इन्द्रिय , ग्रहण करने की शक्ति हाथ , चलने की शक्ति पैर , जो अभी बोल रहे हैं , देख रहे हैं , जल में रस , स्वाद और गन्ध पैदा हुई , इसका भी मोटा रूप हुआ तो आकाश पैदा हुआ जिसका गुण शब्द है | उससे वायु पैदा हुई उससे अग्नि उत्पन्न हुई , उससे जल , उसके बाद उससे पहाड़ों के सहित पृथ्वी पैदा हुई ।।
Jaspal Gopal