
भारत और नेपाल को सदियों से मिली-जुली संस्कृति एक करती रही है। बेटी-रोटी का रिश्ता इतना गहरा कि कभी लगा नहीं कि दो देश हैं। मगर, हाल के वर्षों में नेपाल सरकार की नीतियों ने खटास पैदा किया है। सीतामढ़ी में नेपाल की आम्र्ड पुलिस फोर्स की फायङ्क्षरग के बाद स्थिति और बिगड़ी है।
इसके चलते सीमा पर सख्ती से नेपाल में रोजमर्रा के सामान की कीमतें आसमान छू रही हैं। सबसे ज्यादा हाहाकार नमक को लेकर है। इसे साठ रुपये (सौ नेपाली करेंसी) प्रति किलोग्राम बेचे जाने की खबर है।
कोरोना संक्रमण रोकने के लिए दोनों देशों में लॉकडाउन किया गया था। सीमा भी सील कर दी गई थी। सीतामढ़ी की घटना के बाद सीमा पर सख्ती और बढ़ा दी गई। सीसीटीवी से भी चौकसी की जाने लगी। इससे भारतीय क्षेत्र से जरूरी सामान नेपाल के नागरिकों को मिलना कठिन हो गया।
मधुबनी का लदनियां नेपाल के सिरहा जिले से सटा है। इस कारण वहां के लोग लदनियां बाजार से सामान खरीदते मुश्किल से आ पा रहे। कुछ चोरी-छिपे ले जा रहे। यही कारण है कि नेपाल में छह गुना से अधिक बढ़ी कीमत पर सामान खरीदने को वहां की जनता मजबूर है। वे लोग अपनी ही सरकार को कोस रहे हैं। भारत-नेपाल संबंध को पूर्व की तरह मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं।
सिरहा के लगडी शिकाज्योति निवासी प्रधान रामचंद्र यादव कहते हैं, नेपाल सरकार चीन के इशारे पर काम कर रही है। इससे सदियों से चले आ रहे भारत-नेपाल के संबंध खराब हो रहे। जरूरत के सामान की बढ़ी कीमत चुकानी पड़ रही। चंदर मुखिया, पशुपति यादव, मेदी यादव सहित अन्य नेपाली प्रधानमंत्री केपी ओली की नीतियों को भारत विरोधी बताने से नहीं चूकते। वे कहते हैं, ओली के फैसले ने दोनों देशों के संबंधों को खतरे में डाल दिया है। सरकार को संबंध मधुर करने के लिए पहल करनी चाहिए।
पहले नमक का भाव प्रति किलो 16 नेपाली करेंसी था, अब सौ नेपाली करेंसी हो गया है। सरसों तेल दो सौ की जगह आठ सौ प्रति लीटर, चीनी 70 की जगह चार सौ प्रति किलो, जीरा चार सौ की जगह दो हजार, काली मिर्च 1600 की जगह 3500, हल्दी 250 की जगह आठ सौ और अरहर दाल 150 की जगह 700 प्रति किलो नेपाली करेंसी बिक रहा। इसके अलावा केरोसिन प्रति लीटर चार सौ नेपाली करेंसी, मिर्ची नौ सौ, चायपत्ती 1000, चना दाल 600 और खेसारी दाल पांच सौ नेपाली करेंसी प्रति किलो में बिक रहा। ज्ञात हो कि सौ नेपाली करेंसी का मूल्य 60 रुपये होता है।
source https://www.dailynv.com/2020/06/60.html